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Wednesday 3 August 2016
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Bangladesh liberation war honour on Former PM Atal Bihari Vajpayee

Bangladesh liberation war honour on Former PM Atal Bihari Vajpayee

भारत के और बांग्लादेश के आदरणीय महानुभाव,
मेरे लिए आज ये सौभाग्य का पल है, भारतवासियों के लिए गौरव का पल है। जिस महापुरुष ने अपना संपूर्ण जीवन देश की सेवा में खपा दिया, सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव आए उसके लिए जीवन भर वे जूझते रहे, और राजनीतिक दृष्टि से मेरे जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के लिए वे प्रेरणामूर्ति रहे – ऐसे मां भारती के सपूत भारत रत्न श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी को आज बांग्लादेश सम्मानित कर रहा है। और बांग्लादेश की जंग के समय मूक्ति योद्धाओं के साथ भारत के सैन्य ने, जो अपना रक्त बहाया था और हर भारतीय नागरिक इस समय एक प्रकार से बांग्लादेश के सपने को साकार करने के लिए जूझता था, उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जी को जो नेतृत्व मिला, उनका मार्गदर्शन मिला – विपक्ष में रहते हुए देश की राजनीतिक को दिशा देने का जो उन्होंने निरंतर प्रयास किया, उसका आज गौरवपूर्ण स्मरण हो रहा है, इसके लिए मैं बांग्लादेश का बहुत-बहुत आभारी हूं।

वाजपेयी जी का अगर स्वास्थ्य ठीक होता और आज स्वंय यहां मौजूद होते तो इस अवसर को चार चाँद लग जाते। और आप सबने प्रार्थना की है अटल जी के स्वास्थ्य के लिए, मुझे विश्वास है कि आपकी प्रार्थनी फलेगी, और अटल जी स्वस्थ होकर के फिर से हम सब का मार्गदर्शन भी करेंगे। आज के इस अवसर पर ये सबसे बड़े आनंद का विषय है कि उस युद्ध की स्मृति में award दिया जा रहा है और महामहिम राष्ट्रपति जी के हाथों से दिया जा रहा है, जो स्वंय एक गौरवशाली मुक्ति योद्धा रहे हैं और उनके हाथों से सम्मान हो रहा है, ये अपने आप में एक बड़े गौरव की बात है। और दूसरी बात बंग-बंधु, जिनके नेतृत्व में, जिनके मार्गदर्शन में, बांग्लादेश ये लड़ाई लड़ा और जीता, उनकी बेटी की उपस्थिति में ये सम्मान प्राप्त हो रहा है। और तीसरी एक बात जो शायद मैंने पहले कभी बताई नहीं है वो मुझे आज बताते हुए जरा गर्व होता है। मैं राजनीतिक जीवन में तो बहुत देर से आय़ा। ’98 के आखिरी-आखिरी काल खंड में आय़ा लेकिन एक नौजवान activist के नाते, एक युवा worker के रूप में जो कि मैं राजनीतिक दल का सदस्य नहीं था, मैं भारतीय जनसंघ का कभी कार्यकर्ता नहीं रहा – लेकिन जब अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ ने बांग्लादेश के निर्माण के समर्थन के लिए एक सत्याग्रह किया और जिसका उल्लेख इस annotation में है, उस सत्याग्रह में एक volunteer के रूप में मैं मेरे गांव से दिल्ली आया था। और जो एक गौरवपूर्ण लड़ाई आप लोग लड़े थे और जिसमें हर भारतीय आपके सपनों को साकार होते देखना चाहता था, उन करोड़ों सपनों में एक मैं भी था, उस समय उन सपनों को देखता था।

आज मैं इस अत्यंत पवित्र अवसर पर वाजपेयी जी ने 6 दिसंबर 1971 को भारत की संसद में एक विपक्ष के एम.पी. के रूप में जो भाषण दिया था, उसका एक पेराग्राफ मैं पढ़ना चाहता हूं। दीर्घदृष्टा नेतृत्व क्या होता है, यह 6 दिसंबर के 1971 के उनके भाषण से हमें याद कर सकते हैं। उनके भाषण से मैं उनका ही quote बोल रहा हूं – “देर से ही सही बांग्लादेश को मान्यता प्रदान करके, एक सही कदम उठाया गया है। इतिहास को बदलने की प्रक्रिया हमारे सामने चल रही है। और नियति ने इस संसद को, इस देश को ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में रख दिया है जब हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे। बांग्लांदेश की मुक्ति अब निकट आ रही है।“

यह वाजपेयी जी ने 6 दिसंबर, 1971 हिंदुस्तान की पार्लियामेंट में बोला था। आज जब मैं वाजपेयी जी को दिया हुआ सम्मान स्वीकार कर रहा हूं तब इस सम्मान के साथ हमारे संबंधों की दिशा जो वाजपेयी जी ने दो वाक्यों में कही है, उसके लिए भी संकल्प करने का यह समय है और उन्होंने उस दिन अपने भाषण में कहा था, जो मैंने पहले पढ़ा, वो मैं दोबारा पढ़ रहा हूं। उन्होंने कहा था – “यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो कभी भी, किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं”। और दूसरा उन्होंने कहा था “जो कभी भी कहीं भी किसी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे”।

वाजपेयी जी की इन दोनों बातों को हमने आगे नई पीढि़यों तक देना है ताकि भारत और बांग्लादेश के संबंध अटूट बने रहे, हमारे सपने साकार होते चले। एक दूसरे के सहयोग से होते चले, यही शुभकामनाओं के साथ मैं फिर एक बार आदरणीय राष्ट्रपति जी का, आदरणीय प्रधानमंत्री जी का, बांग्लादेश सरकार का और बांग्लादेश की जनता का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी को जो आपने सम्मान दिया इसके गौरव के साथ मैं अपनी बात को पूर्ण करता हूं।



Delhi News Agency

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